मनोज बाजपेयी के करियर से जुड़ा ये किस्सा बेहद दिलचस्प है. बॉलीवुड में उस दौर का एक बेहद क्रिएटिव डायरेक्टर उनकी तलाश तीन साल से कर रहा था. लेकिन जब खुद मनोज बाजपेयी उनके सामने आ कर खड़े हो गए तब वो उन्हें पहचान ही नहीं सका. लेकिन मनोज बाजपेयी भी आसानी से हार नहीं मानने वाले थे. उन्होंने डायरेक्टर को अपने रोल के बारे में डिटेल में समझाया. ये डायरेक्टर थे मशहूर राम गोपाल वर्मा. जिन्होंने तीन साल तक मनोज बाजपेयी को तलाशा. मुलाकात हुई भी तो कुछ इस तरह.
ये भी पढ़ें: पवन सिंह ने धनश्री वर्मा के लिए खुलवा डाली साड़ी की दुकान,युजवेंद्र चहल की एक्स वाइफ को भेजा खास मैसेज
ये है दिलचस्प किस्सा
मनोज को ये खबर कानन अय्यर से मिली थी कि राम गोपाल वर्मा अपनी फिल्म दौड़ के लिए एक साइड विलेन ढूंढ रहे हैं. इस रोल के लिए इरफान खान और विनीत कुमार जैसे एक्टर्स भी रेस में थे. मनोज ने सोचा कि किस्मत आजमा लेनी चाहिए और वो इंटरव्यू देने पहुंच गए. राम गोपाल वर्मा ने उनसे पहला ही सवाल पूछा, ‘आपने कौन सी फिल्म की है?' मनोज ने कहा, ‘बैंडिट क्वीन.' लेकिन राम गोपाल वर्मा को यकीन ही नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि वो फिल्म दो बार देख चुके हैं लेकिन उन्हें मनोज कहीं नजर नहीं आए. मनोज ने समझाया कि उन्होंने मान सिंह का किरदार निभाया था. वो भी बिना डायलॉग वाला रोल. इसके लिए उन्होंने दाढ़ी बढ़ाई थी और उन्हें मेकअप से बुजुर्ग दिखाया गया था.
तीन साल से थी तलाश
ये सुनकर राम गोपाल वर्मा दंग रह गए. उन्होंने कहा कि वो दौड़ का साइड विलेन के लिए उन्हें पिछले तीन साल से ढूंढ रहे थे. उन्हें मनोज की एक्टिंग इतनी पसंद आई थी कि वो हर जगह उनके बारे में पूछते घूम रहे थे. लेकिन किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी. इसके बाद राम गोपाल वर्मा ने उन्हें कहा कि वो दौड़ मूवी का छोटा रोल न करें. इसके बदले उन्होंने मनोज बाजपेयी को सत्या मूवी का अहम रोल ऑफर किया. लेकिन उस समय मनोज की हालत ऐसी थी कि उन्हें तुरंत पैसे की जरूरत थी. उन्होंने विनम्रता से कहा, ‘सर, मुझे ये रोल करना ही पड़ेगा.'
फिर क्या था, मनोज बाजपेयी ने दौड़ में काम किया और आगे चलकर सत्या में भीकू मात्रे के किरदार से उन्होंने ऐसा धमाका किया कि बॉलीवुड का पूरा स्टारडम हिल गया. उस एक रोल ने मनोज को वो मुकाम दिया, जिसे पाने के लिए लोग सालों तक इंतज़ार करते हैं.