रजनीकांत की एंट्री और वक्त रुक गया, कूली देखने आये दर्शकों ने सुपरस्टार की एंट्री का ऐसे मनाया जश्न

सुपरस्टार रजनीकांत के बारे में बहुत लिखा गया, बहुत कुछ कहा गया सिनेमा का वो डेमीगॉड, जो वास्तविक जिंदगी में कैसा भी दिखता हो, पर स्क्रीन पर लोग उनके किसी भी अवतार को पसंद करते हैं.

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रजनीकांत की एंट्री और वक्त रुक गया,
नई दिल्ली:

सुपरस्टार रजनीकांत के बारे में बहुत लिखा गया, बहुत कुछ कहा गया सिनेमा का वो डेमीगॉड, जो वास्तविक जिंदगी में कैसा भी दिखता हो, पर स्क्रीन पर लोग उनके किसी भी अवतार को पसंद करते हैं. यूं तो रजनीकांत की बहुत-सी फिल्में देखी हैं, पर वो जो एक अनुभव उनकी फिल्म उनके फैन्स के साथ देखने में होता है, वो बिल्कुल अलग है. फिल्म के शुरू होने से लेकर फिल्म खत्म होने तक जो नजारा देखने को मिलता है, वो एक ऐसा अनुभव है जिसे जब तक कोई खुद महसूस न करे, तब तक उसे बयान करना मुश्किल है.

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यूं तो सोशल मीडिया पर उनकी फिल्म रिलीज के वक्त उनके फैन्स की दीवानगी दर्शकों ने खूब देखी होगी, जैसे उनके कटआउट को दूध से नहलाना, नारियल फोड़ना, हार चढ़ाना पर हैरानी तब होती है कि लोग सुबह 6 बजे मुंबई के अलग-अलग कोनों से कई किलोमीटर का सफर तय करके फिल्म देखने आते हैं. ऐसा ही हुआ कुली के पहले दिन, पहले शो पर. बारिश का दिन था, और फिर भी वडाला के मिराज आईमैक्स पर रजनीकांत के फैन्स ने 4 स्क्रीन्स बुक कर रखी थीं और फैन्स से सिनेमा हॉल की लॉबी खचाखच भरी हुई थी. ढोल-नगाड़े, बाजे खुले आसमान के नीचे बारिश में और लॉबी के अंदर हजारों लोग नाचते हुए फिल्म की रिलीज का जश्न मना रहे थे. लोग सिनेमा हॉल में घुसे, लेकिन नाच-गाना और ढोल यहां भी चल रहा था, साथ ही तालियां, सीटियां और “थलाइवा” के नारे.

लेकिन असली नजारा जिसका इंतजार था, जब पर्दे पर रजनीकांत की एंट्री होगी, तो माहौल क्या होगा? और जैसे ही रजनीकांत की एंट्री पर्दे पर हुई, मानो वक्त रुक गया. उनकी एंट्री को बाकायदा पर्दे पर पॉज कर दिया गया और दर्शकों को पूरा मौका दिया गया उस पल का जश्न मनाने का. एक बार फिर सिनेमाघर की लाइट जला दी गईं, ढोल फिर से बजने लगे, लोग सीटों से उठकर नाचने लगे. कुछ वक्त बाद फिल्म को फिर से शुरू किया गया, पर फैन्स का शोर जारी था. जैसे ही रजनीकांत स्क्रीन पर गाने पर नाचते नजर आए, एक बार फिर फैन्स सीट से उठ खड़े हुए. सीट से लेकर आइल और स्क्रीन के पास लोग नाचने लगे.

इस तरह की दीवानगी मैंने पहले देखी तो नहीं थी, पर सुना जरूर था. मुझे जिस बात पर सबसे ज्यादा हैरानी हुई, वो ये थी कि किस तरह सिनेमाहॉल रजनीकांत की एंट्री पर फिल्म को पॉज कर देते हैं और फैन्स के जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें पूरा मौका देते हैं कि वो उस पल का लुत्फ उठा सकें और इसका जश्न मना सकें. ये फिल्म मैंने तमिल भाषा में सबटाइटल्स के साथ देखी, और खास बात ये थी कि दर्शकों ने जितना जश्न रजनीकांत के लिए मनाया, उतना ही कन्नड़ स्टार उपेंद्र के लिए और उतना ही आमिर खान के लिए भी मनाया. आज कुली का ये अनुभव अलग और नायाब था.

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