इस फिल्म में थे सिर्फ तीन कलाकार और 15 दिन में बनकर हो गई थी तैयार, सवा दो करोड़ की फिल्म कर बैठी बंपर कमाई

राम गोपाल वर्मा की एक फिल्म सिर्फ तीन लोगों में बन कर तैयार हो गई. पूरी फिल्म में तीन लोगों के अलावा कोई चौथा चेहरा दिखाई नहीं दिया. इसके बावजूद फिल्म ने जबरदस्त कमाई की. सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया.

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इस फिल्म में थे सिर्फ तीन कलाकार और 15 दिन में बनकर हो गई थी तैयार
नई दिल्ली:

किसी फिल्म को बनाना हो तो एक लंबी चौड़ी टीम की जरूरत होती है. टीम की लीड कास्ट के साथ दर्जनों सपोर्टिंग एक्टर्स और एक्ट्रेस होते हैं. इसके बाद कहीं भीड़ दिखानी हो पब्लिक प्लेस दिखाना हो तो तमाम आर्टिस्ट जुगाड़ने पड़ते हैं. लेकिन राम गोपाल वर्मा की एक फिल्म सिर्फ तीन लोगों में बन कर तैयार हो गई. पूरी फिल्म में तीन लोगों के अलावा कोई चौथा चेहरा दिखाई नहीं दिया. इसके बावजूद फिल्म ने जबरदस्त कमाई की. सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया. जिसका नतीजा ये हुआ कि जो मूवी सिर्फ सवा दो करोड़ रु. में बनकर तैयार हुई थी उसने बंपर कमाई की. 1999 में रिलीज हुई ये फिल्म इतनी जबरदस्त थी कि आईएमडीबी पर आज भी इसे दस में से 7.8 की रेटिंग मिली हुई है.

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अनुराग कश्यप ने लिखी फिल्म

साल 1999 में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम है कौन. इस फिल्म में सिर्फ तीन ही कलाकार हैं. एक एक्ट्रेस हैं उर्मिला मातोंडकर, और बाकी दो स्टार्स हैं मनोज बाजपेयी और सुशांत सिंह. फिल्म एक जबरदस्त किस्म की सस्पेंस थ्रिलर मूवी है. जो सिर्फ तीन लोगों के इर्द गिर्द घूमती है. उस दौर के उम्दा डायरेक्टर्स में शुमार राम गोपाल वर्मा ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया था और फिल्म की जबरदस्त थ्रिलिंग स्टोरी को लिखा था अनुराग कश्यप ने. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये फिल्म सिर्फ सवा दो करोड़ रु में बनकर तैयार हो गई थी. जबकि फिल्म ने कमाई के मामले में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था.

ऐसी थी फिल्म की कहानी?

आपके घर के दरवाजे पर दस्तक होती है तो आप भी सवाल करते होंगे कौन. फिल्म की कहानी भी इसी सवाल के आसपास घूमती है. जिसकी शुरुआत में दिखाते हैं एक न्यूज कि खूंखार कातिल जेल से फरार हो चुका है. उसके बाद उर्मिला मतोंडकर के घर पर एक के बाद एक दस्तक होती है और दो अनजान लोग पहुंच जाते हैं. ये दो लोग होते हैं मनोज बाजपेयी और सुशांत सिंह. क्या कातिल इन्हीं में से कोई है. क्या उर्मिला मातोंडकर उस कातिल से बच सकेगी. बस फिल्म की कहानी इसी सवाल के आसपास घूमती नजर आती है.

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