बैनर पेंट करने से लेकर अमिताभ बच्चन की आवाज कैसे बना यह सिंगर, बड़े-बड़े सितारों की मिमिकरी करते हुए गाए गाने

Amitabh Bachchan Voice: बॉलीवुड में यूं तो कई दिग्गज कलाकार रहे हैं, लेकिन आज जिस सिंगर की बात की जा रही है उसे अपनी आवाज से ज्यादा पहचान दूसरे कलाकारों की मिमिकरी से मिली है. इस गायक ने बॉलीवुड के कई मशहूर गानों को अपनी आवाज दी है.

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Bollywood Gold: अमिताभ बच्चन की आवाज से ही आप समझ गए होंगे कि हम किस गायक की बात कर रहे हैं. यह वो हैं जो ना सिर्फ अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, अशोक कुमार और प्राण साहब की मिमिकरी के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इन्होंने अमिताभ की आवाज में जुम्मा चुम्मा से लेकर शावा शावा जैसे बेहतरीन गाने भी गाए हैं. आज बात करेंगे सुदेश भोसले (Sudesh Bhosale) जी और उनके फिल्मी सफर के बारे में, कैसे बैनर पेंट करने से लेकर सुदेश भोसले बने जाने-माने सितारों की आवाज.

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सुदेश भोसले के पिता बैनर बनाते थे और उन्होंने मुगल-ए-आजम जैसी फिल्म का बैनर भी बनाया था. बचपन में सुदेश को गाने का शौक नहीं था और अपने पिता की तरह ही वे बैनर पेंटर बनना चाहते थे. महज 14 साल की उम्र में सुदेश भोसले ने फिल्म प्रेम नगर का बैनर (Banner) बना दिया था. इसके बाद से ही माता-पिता को लगने लगा कि सुदेश आर्टिस्ट ही बनेंगे. 14 से 22 साल की उम्र तक सुदेश ने पेंटिंग ही की थी. 

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मां गायिका थीं लेकिन घर में बॉलीवुड गीत-संगीत नहीं बजता था. सुदेश भोंसले ने कॉलेज के समय से मिमिकरी और गाना शुरू किया था. 22 साल की उम्र के बाद से मिमिकरी का जो दौर शुरू हुआ वो आजतक चला आ रहा है. कॉलेज के दौरान ही एक ऑर्केस्ट्रा के शो में सुदेश अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की मिमिकरी करने गए थे और फिर मिमिकरी का सिलसिला चल गया. 

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जब सुदेश जी मिमकरी आर्टिस्ट बन गए तो एक समय वो आया जब संजीव कुमार का निधन हो गया था लेकिन उनकी 5 फिल्मों की कुछ-कुछ डबिंग बाकी थी. इन फिल्मों के कुछ सीन सुदेश जी ने ही डब किए थे. 

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सुदेश भोसले अपने करियर को बनाने का श्रेय गायिका आशा भोसले (Asha Bhosle) जी को देते हैं. उन्होंने ऑर्केस्ट्रा में सुदेश भोसले को गाते हुए सुना था और उन्हें स्टूडियो में गाने के लिए बुला लिया. सुदेश जी ने अमर प्रेम का सचिन दा का एक गाना गाया और यह सुदेश जी के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया. आशा जी ने सुदेश जी के गाने को रिकॉर्ड किया और आर डी बर्मन (RD Burman) को सुनाया. पंचम दा बाथरूम में थे और सुनकर भागते हुए बाहर आए. उन्हें लगा जैसे उनके पिता ही गा रहे हों. सुदेश जी को पंचम दा ने अपने टूर के लिए चुना और प्लैबेक सिंगर भी बनाया. इस तरह पंचम दा के साथ सुदेश भोंसले के गीतों की गाड़ी चल पड़ी. 

सुदेश जी ने अपने करियर में यूं तो कई सुपरहिट गाने गाए लेकिन अमिताभ बच्चन के लिए गाए गानों से उन्हें खासा पहचान मिली. सुदेश भोसले और अमिताभ बच्चन की आवाज एकदूसरे से इतनी मिलती है या कहें सुदेश भोसले इतने परखे हुए आर्टिस्ट हैं कि लोगों को अक्सर अमिताभ बच्चन के गाए गाने सुदेश भोसले के लगते हैं और सुदेश जी के गाने उन्हें अमिताभ बच्चन के गाए हुए सुनाई पड़ते हैं. 

लेकिन, सुदेश जी के लिए यह एक बड़ी दुविधा भी रही क्योंकि उनकी अपनी आवाज से ज्यादा उनकी मिमिकरी वाली आवाज से उन्हें पहचान मिली और दूसरे आर्टिस्ट की आवाज में ही उनसे गाने गंवाए गए, यहां तक कि उनसे गानों में भी मिमिकरी कराई जाती थी. 

बैनर पेंटर को कैसे मिली अमिताभ बच्चन की आवाज से पहचान | Bollywood Gold

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