हिंदी सिनेमा में अब भले बहुत कम अच्छी फिल्में देखने को मिलती हों, लेकिन एक समय ऐसा भी रहा है कि जब हिंदी सिनेमा ने एक से बढ़कर हिट और कल्ट फिल्में दी हैं. आज हम आपको बॉलीवुड की एक ऐसी फिल्म से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसने हिंदी सिनेमा में मल्टी-स्टारर फिल्मों का चलन शुरू किया. इतना ही नहीं फिल्म की सफलता का कारण इसकी मजबूत कहानी, शानदार अभिनय और मधुर संगीत था. इसे दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा. वक्त ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि उस समय के सामाजिक मूल्यों को भी उजागर किया. इस फिल्म का नाम वक्त है.
1965 में रिलीज हुई फिल्म वक्त ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता हासिल की और इसे ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर का दर्जा मिला. यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म का बजट 70 लाख रुपये था, लेकिन इसने बॉक्स ऑफिस पर 6 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ा रिकॉर्ड था. यह फिल्म अपने समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी.
वक्त एक पारिवारिक ड्रामा थी, जिसमें राजकुमार, सुनील दत्त, शशि कपूर, साधना और शर्मिला टैगोर जैसे बड़े सितारों ने अभिनय किया. फिल्म की कहानी एक व्यापारी परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक भूकंप के कारण बिखर जाता है. कहानी में भावनाओं, रिश्तों और समय के महत्व को खूबसूरती से दिखाया गया. फिल्म के गाने, जैसे "ऐ मेरी जोहरा जबीं" और "आगे भी जाने न तू", आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं. संगीतकार रवि और गीतकार साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने इसमें जादू बिखेरा.
राजकुमार से पहले वक्त फिल्म के लिए धर्मेंद्र मेकर्स की पहली पसंद थे, लेकिन धर्मेंद्र ने फिल्म में बड़े भाई का रोल करने से मना कर दिया था. जिसके चलते वक्त उनके साथ से निकल गई थी. वक्त को कई पुरस्कार भी मिले, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ कहानी जैसे सम्मान शामिल हैं. इस फिल्म ने फिल्मफेयर में 6 अवॉर्ड्स हासिल किए थे. यह फिल्म आज भी क्लासिक सिनेमा का एक शानदार उदाहरण है और इसे हर पीढ़ी के दर्शक पसंद करते हैं.