फिल्म वितरक राज बंसल का कहना है कि फिल्म ‘धुरंधर' 25 दिसंबर को 32 से 34 करोड़ रुपये तक का कारोबार कर सकती है. उनके मुताबिक फिल्म देशभर में असाधारण प्रदर्शन कर रही है और दर्शकों की प्रतिक्रिया हर दिन और मज़बूत होती जा रही है. खास बात यह है कि फिल्म को लेकर उत्साह किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि हर धर्म और हर सामाजिक तबके के लोग इसे देख रहे हैं. दर्शक न सिर्फ थिएटर तक पहुंच रहे हैं, बल्कि कई-कई बार फिल्म देखने लौट रहे हैं फिर चाहे वह मेट्रो शहर हों, छोटे शहर हों या टियर-2 शहर.
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फिल्म को लेकर जो माहौल दर्शकों में है, वही उत्साह फिल्म इंडस्ट्री के भीतर भी देखने को मिल रहा है. फिल्मकारों का मानना है कि यह समय आलोचना या छींटाकशी का नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के लिए जश्न मनाने का है. इसी सिलसिले में ‘ओएमजी 2' के निर्देशक अमित राय ने फिल्म को लेकर अपनी बात खुलकर रखी.
अमित राय कहते हैं, “मुझे लगता है कि यह समय आलोचना करने का या एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का नहीं है. यह समय सेलिब्रेट करने का है, क्योंकि भारतीय सिनेमा में अगर हाल के समय में कोई बड़ा माइलस्टोन स्थापित हुआ है, तो वह ‘धुरंधर' के साथ हुआ है.”
उनका कहना है कि इस फिल्म के जरिए हिंदी सिनेमा ने एक बार फिर मजबूत कहानियों की ओर वापसी की है. “हमने फिर से कहानियों का दामन थामा है और वह कहानी सच्चाई के साथ, पूरी ताकत से पर्दे पर उतरी है. मैं फिल्म के कलेक्शन की बात नहीं करना चाहता, बल्कि इसकी गुणवत्ता की बात करना ज़्यादा ज़रूरी समझता हूं.”
अमित राय के मुताबिक फिल्म की सबसे बड़ी ताकत दर्शकों की भागीदारी है. “फिल्म जिस तरह प्रस्तुत की गई है, उसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि पब्लिक बड़ी संख्या में थिएटर तक आ रही है. हर वीकेंड कलेक्शन बढ़ रहा है, लेकिन उससे भी ज़्यादा अहम है वह चर्चा जो आम जनता फिल्म को लेकर कर रही है.”
उन्होंने कहा कि वे हर वर्ग के दर्शकों से मिल रहे हैं और हर जगह से एक जैसी प्रतिक्रिया मिल रही है. “छोटे तबके से लेकर मिडिल क्लास और अपर क्लास तक, हर जाति और हर धर्म हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी फिल्म को लेकर बात कर रहे हैं. रिक्शा में मिलने वाले लोग हों, होटल में बातचीत हो, यात्रा के दौरान सहयात्री हों, एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन, जहां भी मिलता हूं, लोग ‘धुरंधर' की तारीफ करते नज़र आते हैं. यह बताता है कि सिनेमा लोगों को छू पाया है.”
अमित राय का मानना है कि फिल्म के राजनीतिक दृष्टिकोण, विचारधारा या अन्य विवादों को लेकर होने वाली बहसों को फिलहाल एक तरफ रख देना चाहिए. “मेरे हिसाब से यह समय इन बातों पर चर्चा करने का नहीं है. यह समय सिनेमा का उत्सव मनाने का है. ‘धुरंधर' एक फिल्म नहीं, बल्कि सिनेमा के एक फेस्टिवल की तरह हमारे बीच उतरी है.”
उन्होंने कहा कि इस फिल्म को अपनाना और इसका सम्मान करना ज़रूरी है. “इस बच्चे को गोद में लीजिए, इसे प्यार दीजिए, क्योंकि यह हमारे सिनेमा की धरोहर है. यह हमारी ताकत है कि दर्शक कहानी देखने के लिए थिएटर तक उतर रहे हैं और फिल्म देखकर खुश हो रहे हैं.”
अमित राय ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि फिल्म एडल्ट सर्टिफिकेट और लंबी अवधि के बावजूद दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रही है. “यह कोई पारंपरिक हीरो-हीरोइन फॉर्मेट वाली फिल्म नहीं है. इसके बावजूद यह हर स्तर पर काम करती है. प्रोडक्शन डिज़ाइन, कैरेक्टर डिज़ाइन, परफॉर्मेंस और सिनेमैटोग्राफी — हर मोर्चे पर यह फिल्म इतनी मज़बूत है कि कई जगह ‘अवतार' जैसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के स्तर को भी चुनौती देती नज़र आती है.”
उनका कहना है कि अगर भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करनी है, तो अपना स्तर लगातार ऊंचा करना होगा और ‘धुरंधर' उस दिशा में एक अहम कदम है. “कहानी, परफॉर्मेंस और प्रेज़ेंटेशन — हर स्तर पर यह फिल्म इंटरनेशनल बेंचमार्क को छूती है.”
अमित राय ने व्यक्तिगत तौर पर फिल्म से जुड़े हर छोटे-बड़े कलाकार और तकनीशियन का सम्मान करते हुए कहा कि यह सफलता सामूहिक मेहनत का नतीजा है. अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, सिनेमैटोग्राफर, म्यूज़िक डायरेक्टर, बैकग्राउंड स्कोर से लेकर हर विभाग ने पूरी लगन से काम किया है. “दर्शकों को दोबारा थिएटर तक वापस लाने के लिए धन्यवाद, यही सिनेमा की असली जीत है,” उन्होंने कहा.
‘धुरंधर' अब तक देश में 607.50 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुकी है और इस कलेक्शन के साथ इसने ‘पठान', ‘गदर 2' और ‘एनिमल' जैसी फिल्मों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. हालांकि यह अभी ‘जवान' से पीछे है, जिसका देश में कुल कलेक्शन करीब 640 करोड़ रुपये रहा था, लेकिन फिल्म के मौजूदा कारोबार को देखते हुए माना जा रहा है कि 26 दिसंबर तक यह रिकॉर्ड भी टूट सकता है.