
आज जब हर बड़ी फिल्म ओटीटी के पीछे दौड़ रही है, आमिर खान ने उल्टा रास्ता चुना है. उन्होंने साफ कहा है कि “हम ओटीटी पर नहीं आ रहे हैं, सिर्फ थिएटर में आ रहे हैं.” चाहे सामने 35 हजार करोड़ की कंपनी अमेजन, नेटफ्लिक्स या जियो हो – आमिर का कहना है कि “नहीं मतलब नहीं.” इसका नतीजा ये हुआ कि जाहिर सी बात है – ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को बुरा लगा है. आमिर खान ने जिस तरह से अपना कदम उठाया है उसकी वजह से इंडस्ट्री इस वक्त उन्हें एक छोटा खिलाड़ी मान रहे हैं – और सामने अमेजन, नेटफ्लिक्स जैसे दिग्गज बैठे हैं. लेकिन उनका ये स्टैंड अगर चल गया, तो वो पूरी इंडस्ट्री की सोच बदल सकता है.
आमिर खान का मानना है कि अगर लोग थिएटर देखने आए, तो ये इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. और अगर लोग न भी आएं, तो भी कहा जा सकता है कि कम से कम किसी ने कोशिश की थी. उनका कहना है कि “आज कोई रिस्क लेने को भी तैयार नहीं है.”
आमिर ने कॉरपोरेट बुकिंग, बल्क बुकिंग से लेकर एडवरटाइजमेंट बुकिंग जैसी सारी चीजों को मना कर दिया है. उन्होंने जियो, अमेजन, नेटफ्लिक्स से लेकर कई बड़ी बड़ी कंपनियों के बड़े नंबर पर मना कर दिया है. इस तरह से सारा रिस्क उन्होंने खुद कर ले लिया है और यहां तक की वो ओरिजिनल प्रोड्यूसर तक को उसके पैसे लौटा चुके हैं, जो कि सोनी को नुकसान की भरपाई के लिए दिया गया. ये एक बहुत बड़ा रिस्क है, जो शायद कोई और स्टार नहीं लेता. आमिर कहते हैं कि वह बस पैसा नहीं कमाना चाहते, उन्हें सिनेमा से प्यार है और वो उस प्यार के लिए लड़ रहे हैं.
आज की ऑडियंस जान चुकी है कि कोई भी फिल्म 6 से 8 हफ्ते में ओटीटी पर आ ही जाती है. फिर क्यों कोई थिएटर जाकर पैसा खर्च करे? इसके मुकाबले घर पर एसी में बैठकर खाना मंगाओ और फिल्म देखो सस्ता, आरामदायक और आसान हो गया है. ओटीटी ने यह लालच देकर थिएटर की वैल्यू कम कर दी है. यही वजह है कि अब ऑडियंस सिर्फ स्पेक्टैकल (मिशन इंपॉसिबल, पुष्पा जैसी फिल्में) देखने थिएटर जाती है, बाकी सब ओटीटी पर निपटा देती है.
फिल्म सितारे जमीन पर के असली हीरो आमिर नहीं, बल्कि वो 10 बच्चे हैं, जिनकी कहानी दिखाई गई है. ये बच्चे हमारे सोचने का तरीका बदल सकते हैं. आमिर का कहना है कि इन बच्चों के पास एक अपनी अलग दुनिया है – जहां वो अपनी मर्जी से जीते हैं, खुश रहते हैं और हमें असली हैप्पीनेस सिखाते हैं. फिल्म का पॉइंट यही है – “क्या हम वाकई खुश हैं?” उनका सपना है कि समाज की सोच बदले और सिनेमा सिर्फ कमर्शियल एंटरटेनमेंट नहीं, एक जरिया बने बदलाव का.
अब सवाल ये है – क्या आमिर कामयाब होंगे?
अगर वो कामयाब हुए, तो ये इंडस्ट्री के लिए एक नई उम्मीद होगी. अगर वो फेल हुए, तो थिएटर कल्चर को सबसे बड़ा झटका लगेगा. 20 जून को सितारे जमीन पर की रिलीज का रिजल्ट बहुत मायने रखेगा, ये फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि इंडियन सिनेमा का भविष्य तय करने वाली है. अगर ये सफल हुई तो इंडस्ट्री का रुख बदलेगा. अगर ये न कामयाब रही, तो ये थिएटर्स के अंत की शुरुआत कही जाएगी. फिलहाल, कहानी वो बांधे रखने वाली बनाई गई है, अब फैसला जनता के हाथ में है.
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