This Article is From Dec 18, 2020

सोनिया गांधी की असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात में कमलनाथ की अहम भूमिका

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Swati Chaturvedi

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और "प्रखर" नेतृत्व की मांग कर रहे पार्टी के 23 असंतुष्ट नेताओं के बीच कल होने वाली मुलाकात का श्रेय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ को जाता है. कमल नाथ मार्च में मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुके हैं.कमल नाथ की गांधी परिवार से लंबे वक्त से करीबी रही है और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को यह जानकारी दी है कि बिहार समेत हालिया चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बीच असंतुष्टों की जमात बढ़ती जा रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि असंतुष्ट नेताओं से न मिलना लाभदायक नहीं है और यह केवल अपरिहार्य घटनाओं को टालने का काम करेगी.

लिहाजा कल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उन 23 नेताओं के प्रतिनिधियों के बीच आमने-सामने की बैठक होगी, जिन्होंने अगस्त में उन्हें पत्र लिखा था. नेताओं ने इस पत्र में पार्टी में आमूलचूल बदलाव के साथ संगठन के हर स्तर पर चुनाव की मांग की थी. इन नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया था कि गांधी परिवार के नेतृत्व की मौजूदा शैली पार्टी के लिए बड़ी समस्या का हिस्सा रही है.

कमल नाथ भी इस बैठक में होंगे. महामारी शुरू होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की यह पहली बैठक होगी. सोनिया गांधी ने महामारी के बीच में भी कांग्रेस कार्य समिति की बैठकें भी ऑनलाइन आयोजित की हैं. महत्वपूर्ण है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसमें शामिल होंगे, जो हाल ही में सचिन पायलट के विद्रोह से उबरने में सफल रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी और विश्वसनीय पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल भी बैठक में उपस्थित रहेंगे. जबकि असंतुष्ट नेताओं में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल हो सकते हैं, जो बदलाव की मांग को लेकर आक्रामक और मुखर रहे हैं. पत्र लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं में शशि थरूर, मुकुल वासनिक, भूपिंदर सिहं हुड्डा, राजिंदर कौर भट्टल, वीरप्पा मोइली, मनीष तिवारी, मिलिंद देवड़ा और पृथ्वीराज चह्वाण शामिल थे. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बैठक में होंगे या नहीं.

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कमल नाथ ने स्वयं को एक ईमानदार मध्यस्थ के तौर पर पेश किया है, जो पार्टी के भीतर चुनाव कराने, कांग्रेस के नए ऊर्जावान नेतृत्व को सामने लाने के असंतुष्ट नेताओं की मांग में मदद करना चाहते हैं. साथ ही गांधी परिवार को नई परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाने में मदद करने के इच्छुक हैं, जिनके पार्टी में वर्चस्व को उनके राजनीतिक जीवन में अभी तक कभी भी चुनौती नहीं मिली.

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इस संदर्भ में, कमल नाथ सोनिया गांधी के विश्वसनीय सहयोगी अहमद पटेल की भूमिका की जगह लेने या उसका प्रयास कर रहे हैं. पटेल की हाल में कोविड-19 संक्रमण के कारण मौत हो गई थी. अहमद पटेल पार्टी के कोषाध्यक्ष थे और कथित तौर पर सोनिया गांधी ने इस भूमिका की पेशकश कमल नाथ को की है, जो कारपोरेट समूहों के साथ अच्छे रिश्तों के लिए जाने जाते हैं. मौजूदा वक्त में पवन बंसल अंतरिम प्रभार संभाले हुए हैं. अहमद पटेल गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच सेतु की भूमिका निभा रहे थे.

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हालांकि पत्र लिखने वालों को राहुल गांधी के करीबी "जनाधार विहीन राज्यसभा से ताल्लुक रखने वाले नेता करार दे चुके हैं, जो अपने राजनीतिक करियर के आखिरी पड़ाव" पर हैं, पर "आरजी के करीबी नेता" भी वास्तव में उसी क्षमता के हैं. उनके करीबी सहोयगी जो कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी वापसी की आवाज बुलंद कर रहे हैं. वे वास्तव में खुद जनाधार वाले नेता नहीं हैं, जो चुनाव जीत सकते हों. नाम न बताने की शर्त पर असंतुष्ट नेताओं में से कुछ ने कहा कि वे पूर्णकालिक अध्यक्ष चाहते हैं. एक नेता ने कहा कि यह बेहद मुश्किल होगा कि खराब स्वास्थ्य से परेशान सोनिया गांधी को नेतृत्व जारी रखने को कहा जाए. इनमें से ज्यादातर धीमे सुर में कह रहे हैं कि दो आम चुनाव में पराजय के बाद राहुल गांधी वो नेता नहीं हैं, जिनमें वे भरोसा कायम रख सकें. अगर वह कांग्रेस नेतृत्व की भूमिका नहीं चाहते हैं, जैसा कि वे दावा कर रहे हैं, तो असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि पार्टी को आगे की सोचना चाहिए और किसी नए व्यक्ति को कमान देनी चाहिए. असंतुष्ट नेताओं ने संकेत दिया है कि वे कल की बैठक में जोर देकर कहेंगे कि पार्टी में हर पद पर चुनाव होना चाहिए और किसी भी पद किसी को नामित नहीं किया जाए.

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बैठक में गहलोत की मौजूदगी महत्वपूर्ण होगी. अगर वह बदले गए ढांचे में कांग्रेस में केंद्रीय भूमिका के लिए तैयार हो जाते हैं तो कभी भी अपनी बेचैनी न छिपाने वाले पायलट को उनकी ड्रीम जॉब यानी राजस्थान का मुख्यमंत्री पद मिल सकता है. हालांकि अभी तक गहलोत ने दिल्ली के लिए जयपुर छोड़ने से इनकार किया है. पायलट की शिकायतों के समाधान के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, लेकिन उसे कमजोर किया गया. लिहाजा किसी भी बात का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है.

तो कल क्या होगा ? दो हालातों की उम्मीद की जा सकती है. सोनिया गांधी पार्टी के हर पद के लिए चुनाव कराने की अहम मांग को स्वीकार कर सकती हैं और इसके लिए एक समयसीमा तय करने को कह सकती हैं. सभी पद यानी कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी चुनाव के लिए खुला होगा. गांधी परिवार किसी प्रतिनिधि के तौर पर गहलोत या वासनिक जैसे किसी व्यक्ति का "पारिवारिक उम्मीदवार" की तरह समर्थन कर सकते हैं. या फिर राहुल गांधी, जो अभी भी आधिकारिक तौर पर जिम्मेदारी संभालने के प्रति अनिच्छा दिखाते हुए दिख रहे हैं, (हालांकि पर्दे के पीछे महत्वपूर्ण फैसलों पर उनकी छाप रही है) उन्हें दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है.

अगर राहुल गांधी कहते हैं कि वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़े होंगे तो असंतुष्ट कहेंगे कि उनके खिलाफ कोई भी मैदान में नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गांधी परिवार की खासी लोकप्रियता है.हालांकि यह स्पष्ट है कि सोनिया गांधी संचालन की जिम्मेदारी त्याग देंगी, जो वह अभी तक राहुल के लिए निभा रही थीं और अंततोगत्वा रिटायर हो जाएंगी. ऐसे में यूपीए प्रमुख का पद भी खाली हो जाएगा. औप यह भी कल की बैठक में गोपनीय लक्ष्य हो सकता है. यह ऐसा राजनीतिक पद है, जिस पर विपक्ष के कई नेताओं की नजर है. उम्मीद है कि इसको लेकर शरद पवार और ममता बनर्जी जैसे कांग्रेस के पूर्व नेताओं में भी छद्म युद्ध हो , जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली थी.

(स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं…)

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