मित्रता अनुकूलता

जनवरी 20-फरवरी 18

कुम्भ मित्र

ग्यारहवां घर कुंभ राशि का होता है, जो दोस्ती का घर माना जाता है, अत: ये सभी के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं। ये आधुनिक और उत्साह से भरे हुए होते हैं। ये ज्यादातर अकेला रहना पसंद करते हैं और नहीं चाहते कि कोई इन्हें व्यक्तिगत तौर पर जाने। ये ऐसे लोगों को अपना दोस्त बनाना पसंद करते हैं, जो बुद्धिमान और रुचिपूर्ण होते हैं। सच्चे और स्वाभिमानी कुंभ राशि के लोग दोस्ती को पवित्र मानते हैं।


कुम्भ तथा मेष

गणेशजी को ऐसा लगता है कि मित्र के रूप में दोनों एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह मित्रता निभा सकते हैं। दोनों का विचार और व्यवहार समान हो सकता है, फिर भी सामंजस्यहीन व्यवहार के कारण मित्रता ज्यादा नहीं टिक सकती।


कुम्भ तथा वृषभ

गणेशजी को ऐसा लगता है कि दोनों राशिवाले मित्रों की रूचि और पसंद- नापसंद समान नहीं होंगे, परंतु परस्पर अनुकूलता बनाए रखने के लिए तैयार रहेंगे। इसके लिए दोनों मित्रों के बीच का शारीरिक आकर्षण मुख्य कारण हो सकता है।


कुम्भ तथा मिथुन

यह संबंध प्रोत्साहन और उत्तेजनापूर्ण हो सकता है, पंरतु इस संबंध में निश्चित रूप से अनुमान नहीं किया जा सकता। दोनों के बीच बहुत अच्छा तालमेल रहेगा। दोनों मित्र बौद्धिक साहचर्य में विश्वास करते हैं। अपने-अपने अभिप्राय की अभिव्यक्ति, सर्वसामान्य रसरुचि तथा सामाजिक प्रवृत्तियां उनके संबंधों का मुख्य कारण बनती हैं। गणेशजी को इस मैत्री संबंध के अच्छी तरह से आगे बढ़ने की संभावना लगती है, अतः हरी झंडी दिखाते हैं।


कुम्भ तथा कर्क

इन दोनों राशि के मित्रों के व्यवहारिक और भावनात्मक उद्देश्यों में हमेशा संघर्ष रहने के बावजूद दोनों के बीच घनिष्ठ मैत्री संबंध हो सकते हैं। कर्क राशि वालों को कुंभ राशि वाले अधिक सापेक्ष (आधिपत्य की भावनावाले) और अख्खड लगेंगे, जबकि कुंभ राशि वालों को कर्क राशि वाले बहुत अधिक भावात्मक और सुनने में कर्कश लगते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए गणेशजी इन संबंधों के टिकने की संभावना बहुत कम देखते हैं।


कुम्भ तथा सिंह

यदि दोनों पक्ष एक-दूसरे के लिए कुछ त्याग करने को तैयार हों, तभी ये संबंध टिके रहते हैं। ऐसा हो सकता है कि सिंह राशि वाले कुंभ राशि वालों के आत्मविश्वास को कमजोर बना दें और उलझन में डाल दें, जबकि यह सब इरादापूर्वक नहीं होगा फिर भी कुंभ राशि वाले सिंह राशि वालों के द्वारा कभी-कभी ढिलाई तथा उलझन का अनुभव करते हैं। गणेशजी का कहना है कि दोनों मित्र अपनी-अपनी इच्छाओं के विषय में प्रमाणिक और स्पष्ट रहें तो उनकी मैत्री आगे बढ़ सकती है।


कुम्भ तथा कन्या

यह राशिमेल सामान्य होगा। यदि आप वास्तव में संबंधों में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो दोनों तरफ पारस्परिक आदरभाव बनाए रखना आवश्यक है। आप दोनों के स्वभाव और मिजाज में भी बहुत अंतर होगा। कन्या राशिवाले अधिक सावधान और फिक्रमंद होने के साथ ही सावधानीपूर्वक चलनेवाले होते हैं, जबकि कुंभ राशि वालों की हरेक वस्तु को प्रायोगिक स्तर पर परीक्षण करने की मानसिकता होने के कारण दोनों के बीच दैनिक जीवन में संघर्ष और अशांति की संभावना रहती है। इसलिए गणेशजी इन संबंधों में आगे न बढ़ने की सलाह देते हैं।


कुम्भ तथा तुला

दोनों मित्र अत्यंत सक्रिय और सामाजिक होते हैं। एक-दूसरे के साथ तालमेल अच्छा होगा और वे बहुत अच्छे मित्र बन सकते हैं। तुला राशि वाले कभी कुंभ राशि वालों की मित्रता के लिए मुसीबत और तकलीफदायक बन सकते हैं। ऐसे में कुंभ राशि वालों के लिए तुला और अन्य मित्रों के बीच चुनाव करने की आवश्यकता होती है। इसके कारण दोनों के मैत्री संबंध अपसेट होते हैं। इन संबंधों का श्वेत पक्ष देखें तो तुला राशि वाले कुंभ राशि वालों के सामाजिक जीवन में ताजगीपूर्ण आलिंगन, उत्साह औऱ प्रेरणा प्रदान करेंगे। अतः गणेशजी इन संबंधों को विकसित करने योग्य मानते हैं।


कुम्भ तथा वृश्चिक

अक्सर इन मित्रों को ऐसा लगता है कि उनके बीच एक ऐसा अंतर है, जिसे दूर करना कठिन है। इस संबंध में उष्मा, सुरक्षा और स्वतंत्रता का अभाव होने की संभावना है। दोनों मित्र एक दूसरे की मांगों को संतुष्ट करने में समर्थ नहीं होते हैं, ऐसे में गणेशजी इस संबंध को सौहार्द्रपूर्ण नहीं मानते।


कुम्भ तथा धनु

किसी भी परिस्थिति को देखने का दृष्टिकोण अलग होता है, और घटनाओं के प्रति अभिप्राय भी बहुत अलग होते हैं। दुर्भाग्य से दोनों मित्र ऐसा मानते हैं कि उनकी सोच अधिक अच्छी है। जब अपने साथी को वे प्रभावित नहीं कर सकते या बात को गले नहीं उतार सकते, तब खूब हताशा का अनुभव करते हैं। दोनों व्यक्ति अपने साथी के विचारों की प्रशंसा नहीं कर सकते, जिससे मतभेद उत्पन्न हो सकता है। इसको देखते हुए गणेशजी को यह संबंध उचित नहीं लगता।


कुम्भ तथा मकर

इन दोनों राशियों के अधिपति शनि हैं। इसके बावजूद दोनों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने में तकलीफ हो सकती है। गणेशजी ने इस बात का उल्लेख किया है कि कुंभ जातक प्रत्येक बात को भावनात्मक रूप से अनुभव करने की बजाय बुद्धिपूर्वक अधिक विचार करते हैं। इस कारण वे दूसरों की भावनात्मक आवश्यकताओं से अनजान होते हैं। मकर राशि वाले भी अपनी भावनाओं को दबाए रखते हैं। उन्हें इस बात का भय सताता रहता है कि कहीं वे भावनाओं के लिए सामनेवाले व्यक्ति का मोहताज न हो जाएं। इससे लंबे समय बाद दोनों का एक-दूसरे के साथ मेल नहीं रहता, तो फिर किसलिए आगे बढ़ना?


कुम्भ तथा कुंभ

दोनों मित्रों के बीच बहुत अच्छे संबंध होंगे और दोनों व्यक्ति बौद्धिक रुचि के विषयों या आदर्शों के साथ मिलकर चर्चा करेंगे। दोनों खूब सक्रिय होंगे। ये संबंध काफी मैत्रीपूर्ण होने पर भी उनमें उष्मा एवं भावना की गहराई का आभाव होगा। इससे उन्हें एक-दूसरे का मित्र या प्रेमी बनने को लेकर हमेशा उलझन रहेगी। बहुत अधिक संभावना है कि, ये संबंध अत्यंत तीव्रता के साथ भानात्मक आकर्षण से विकसित होंगे और बाद में पारस्परिक भावनाओं में भी तेजी से अचानक परिवर्तन आएगा। थोड़ी-सी सावधानी के साथ संबंधों को आगे बढाया जा सकता है।


कुम्भ तथा मीन

दोनों व्यक्तियों के व्यक्तित्व में भिन्नता होगी। मीन राशि वाले सौम्य, थोड़ा निष्क्रिय और खींचतान या स्पर्धा की भावना से रहित होंगे, परंतु कुंभ राशि वाले सक्रिय और स्पर्धात्मक स्वभाव वाले होंगे। कभी-कभी तुच्छ बातों पर दोनों के बीच असहमति रहेगी। ऐसी स्वभावगत भिन्नता को देखते हुए गणेशजी इन संबंधों को अधिक प्रोत्साहित न करने की सलाह देते हैं।

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