सलीम खान के साथ मिलकर एक और फिल्म की पटकथा लिखूंगा: जावेद अख्तर

“जंजीर”, “शोले” और “दीवार” जैसी फिल्मों के जरिए 1970 के दशक में भारतीय सिनेमा में क्रांति लाने वाले पटकथा लेखकों की दिग्गज जोड़ी सलीम-जावेद लंबे अरसे के बाद एक बार फिर से किसी फिल्म की पटकथा लिखेंगे.

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नई दिल्ली:

“जंजीर”, “शोले” और “दीवार” जैसी फिल्मों के जरिए 1970 के दशक में भारतीय सिनेमा में क्रांति लाने वाले पटकथा लेखकों की दिग्गज जोड़ी सलीम-जावेद लंबे अरसे के बाद एक बार फिर से किसी फिल्म की पटकथा लिखेंगे. गीतकार जावेद अख्तर ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. लोकप्रिय गीतकार अख्तर ने डिजिटल इंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर प्रसारित होने वाली डॉक्यूमेंट्री-सीरीज 'एंग्री यंग मेन' के ट्रेलर लॉन्च के दौरान यह घोषणा की. यह डॉक्यूमेंट्री-सीरीज सलीम खान और जावेद अख्तर की शानदार रचनात्मक जोड़ी और विरासत को दर्शाती है.

जावेद अख्तर ने यहां संवाददाताओं से कहा, "अब, मैं आपको बता दूं कि हम एक और फिल्म की पटकथा लिखने जा रहे हैं. मैंने उनसे (सलीम खान) बात की है. बस एक और पिक्चर हम लिखेंगे साथ में". उन्होंने कहा, "उस जमाने में भी हमारी कीमत ज्यादा थी, इस जमाने में तो बहुत ज्यादा होगी, वो देख लीजिये". सलीम-जावेद की जोड़ी को अपनी फिल्मों के माध्यम से बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्मों के प्रारूप को फिर से परिभाषित करने का श्रेय दिया जाता है, जो फिल्में दर्शकों की जिंदगी से जुड़ी होती हैं, लेकिन साथ ही अपने समय के दर्द को भी बयां करती हैं.

इस जोड़ी को स्टार का दर्जा पाने वाले पहले भारतीय पटकथा लेखक होने के लिए भी जाना जाता है. यह 1960 के दशक में एक फिल्म के सेट पर सलीम खान और जावेद अख्तर के बीच हुई एक आकस्मिक मुलाकात ही थी, जिसने पटकथा लेखक के रूप में उनकी सफल जोड़ी की शुरुआत की और बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है. अख्तर ने कहा कि उनकी मुलाकात अपने सहयोगी से तब हुई थी जब सलीम खान 1966 की फिल्म ''सरहदी लुटेरा'' में अभिनय कर रहे थे.

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उन्होंने कहा, "हमने कभी यह तय नहीं किया कि हम अब साथ काम करना शुरू करेंगे, हमने कभी जानबूझकर यह तय नहीं किया कि अब हम साथ काम करेंगे, यह बस बढ़ता गया, यह बस हो गया. मुझे जो पहली नौकरी मिली, उसके लिए मुझे 50 रुपये का भुगतान किया गया, फिर 'सरहदी लुटेरा' के लिए मेरी फीस 100 रुपये हो गई".

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गीतकार ने कहा, "यह मेरे करियर की सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक साबित हुई क्योंकि यहीं पर मेरी मुलाकात सलीम साहब से हुई. वह उस फिल्म में रोमांटिक लीड थे और मैं उसके लिए संवाद लिख रहा था". अख्तर ने कहा कि वह सलीम खान ही थे, जिसने उन्हें फिल्मों की पटकथा लिखने के लिए प्रेरित किया.

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उन्होंने कहा, "फिल्म ('सरहदी लुटेरा') के निर्देशक और निर्माता ने उस दौरान मुझे बहुत परेशान किया, लेकिन सलीम साहब ही थे जिन्होंने मुझे लगातार लिखने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा- अगर तुम इस तरह की फिल्म के लिए इतना अच्छा लिख ​​सकते हो, तो तुम और भी अच्छी फिल्मों के लिए और भी बेहतर लिखोगे". बाइस हिंदी फिल्मों और दो कन्नड़ फिल्मों में सहयोग करने के बाद, दोनों ने 1982 में अपनी जोड़ी समाप्त करने का निर्णय लिया.

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