पीएम मोदी के इस दौरे में क्या परमाणु क्षेत्र के कारोबार में कोई प्रगति होगी। क्या ये दौरा इस आधार पर ही परखा जाना है। भारत को भी अपने रिएक्टर बेचने हैं। भारत को खरीदने भी हैं। फ्रांस, रूस और अमेरिका इस बाज़ार को हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे। अब सवाल है कि अमेरिका भारत को एनएसजी की सदस्यता देगा। बदले में भारत क्या देगा। 2010 के लायबिलिटी एक्ट से मुक्ति या कुछ और।