उत्तर प्रदेश को लेकर इस चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा है. सपा-बसपा का साथ क्या नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी को नामुमकिन कर पाएगा? कांग्रेस सपा-बसपा से दूर होकर भी साथ दिखना चाहती थी, लेकिन कल मायावती और अखिलेश यादव दोनों ने ही उसे झिड़क दिया. ऐसे में क्या कांग्रेस मुकाबले को तिकोना बना सकती है या फिर महज अपनी उपस्थिति ही दर्ज करा पाएगी. आंकड़े बताते हैं कि पहले पचास साल के चुनाव में 67 फीसदी सीटें लोकप्रियता के आधार पर जीती गईं तो सिर्फ 33 फीसदी सीटें हीं विपक्ष के बंटवारे की वजह से जीती गईं, लेकिन 2002 से अब तक के आंकड़ें आधे-आधे हो गए. यानी 55 फीसदी सीटें अगर लोकप्रियता से जीती गईं तो बंटे हुए विपक्ष की वजह से सत्ताधारी पार्टी को 45 फीसदी सीटों पर जीत मिली। यूपी के लिहाज से ये आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण है. अब बंटा विपक्ष नहीं है और वहां पिछले दो चुनाव में पार्टियों के आंकड़ें दिलचस्प रहे हैं.