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रवीश कुमार का प्राइम टाइम: दीवार के पीछे झुग्गी और जेल में सत्याग्रही

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भारत में झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है. झुग्गियां हमारे शहरी जीवन की क्रूर सच्चाई हैं. जहां बग़ैर पानी नाली की सुविधा के लाखों लोग ज़िंदगी बसर करते हैं और अपने सस्ते श्रम से मुंबई दिल्ली या अहमदाबाद जैसे शहरों को सींचते हैं. अभी-अभी दिल्ली चुनाव खत्म हुआ है. बीजेपी का नारा था जहां झुग्गी वहीं मकान. 20 लाख लोगों को मकान देने के नारे के साथ बीजेपी मैदान में उतरी थी तो केजरीवाल वहां सीवर लाइन पहुंचाने और सड़क बनाने के काम के दावे के साथ मैदान में उतरे थे. एक तरह से राजधानी दिल्ली में झुग्गी बस्ती एक बड़ा मुद्दा था. सबको पता है भारत के शहरों के बीच में या पीछे बसी झुग्गियों की सच्चाई. फिर अहमदाबाद की एक झुग्गी न दिखे इसके लिए दीवार न बनाई जाए. नई बन रही आधी किलोमीटर लंबी यह दीवार अहमदाबाद एयरपोर्ट से गांधीनगर की ओर बनाई जा रही है. इस दीवार के पीछे सरानियावास नाम की एक झुग्गी बस्ती है. यहां के लोग अचानक से दीवार बनते देख हैरान भी हैं और चिन्तित भी. उनके आने जाने का रास्ता एक तरफ से बंद हो जाएगा. यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है कि जब अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आएं तो उन्हें यह झुग्गी न दिखे.



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