क्या हमें एक ईमानदार और बेहतर परीक्षा व्यवस्था नहीं चाहिए, यह क्यों हैं कि हर राज्य में युवा परेशान हैं मगर किसी राज्य में यह सवाल नहीं है. क्या युवाओं ने यह तय कर लिया है कि उनका भविष्य सिर्फ और सिर्फ हिन्दू मुस्लिम डिबेट जैसे टॉपिक से है. अगर युवा अपनी-अपनी परीक्षा को लेकर रोते रहेंगे तो उनके राज्य में कभी एक बेहतर परीक्षा व्यवस्था नहीं बनेगी. तो अपने लिए नहीं दूसरे के लिए भी बोलिए. रेलवे अप्रेंटिस के छात्र प्रदर्शन करें तो वन सेवा वाले भी उसमें जाएं और बीपीएससी के छात्र प्रदर्शन करें तो उसमें बैंकिंग परीक्षा वाले भी जाएं, वर्ना क्रांति का वो गाना रोज़ सुना कीजिए, वो जवानी जवानी नहीं, जिसकी कोई कहानी नहीं.