आम समाज की यही सोच है कि लड़कियों के लिए सुरक्षा ज़रूरी है और देर रात तक बाहर रहने की इजाज़त मां-बाप भी नहीं देंगे. इस तरह से यह लड़ाई सिर्फ हॉस्टल के ख़िलाफ़ नहीं है. अपने उन घरों से भी है जहां इस तरह की पाबंदी है और जो इस तरह की पाबंदियों का समर्थन करते हैं.