Bangladesh Violence: जब 2008 में तारिक रहमान ढाका छोड़कर लंदन रवाना हुए थे, तब वे तत्कालीन सरकार के निशाने पर थे. उन पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगे थे. इलाज के बहाने देश छोड़ने की इजाजत तो मिली, लेकिन इसके बदले उन्हें लिखित शपथ पत्र देना पड़ा था कि वे बांग्लादेश की राजनीति में कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन 17 साल में बहुत कुछ बदल गया. पदमा और मेघना में पानी बह चुका है. आज वही तारिक रहमान अपना शपथ पत्र तोड़कर देश लौटे हैं. ढाका की सड़कों पर लाखों लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े हैं. 12 फरवरी 2026 को होने वाले आम चुनाव से पहले उनकी वापसी ने राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं. आकलन यही है कि इस बार सत्ता की बागडोर BNP के हाथ में जा सकती है.