हमारे देश में कई ऐसे संवैधानिक नियम-कानून हैं, जिनमें जाति को आधार बनाया गया है. चुनाव के लिए कई सीटों को जाति के नाम पर आरक्षण मिलता है.नौकरियों में भी रिजर्वेशन मिलता है. मकसद ये है कि सामाजिक या आर्थिक तौर पर जो आबादी पीछे रह गई है, वो मुख्य धारा में आ जााए. वो विकास में बराबर की भागीदार बने और देश के बाकी नागरिकों के साथ कदम से कदम से मिला कर चले. जाति को आधार बनाकर राजनीतिक दल भी. चुनाव और संगठन से जु़ड़ी अपनी रणनीति बनाते हैं. लेकिन देश की राजनीति में पिछले 48 घंटों से इस बात तेज विवाद छिड़ गया है कि जाति क्यों पूछ दी.