जामिया मिल्लिया इस्लामिया की लाइब्रेरी में पुलिस मेज़ पर बैठे छात्रों पर लाठियां बरसाने लगती है. 15 दिसंबर की शाम का वीडियो है जिस रात पुलिस ने कैंपस के भीतर लाठी चलाई थी. जब यह वीडियो सामने आया तो तुरंत ही इन छात्रों को कुछ लोग दंगाई लिखने लगे. इन्हें ही अपराधी बताने लगे. अगर आप जस्टिस अरुण मिश्रा की टिप्पणी के साथ इस वीडियो को देखेंगे तो आप दो बातें समझेंगे. एक तो वाकई इस देश में कोई कानून नहीं बचा है और इस देश में कानून की मर्यादा समझने वाली जनता भी शायद नहीं बची है. पर जनता के लिए यह बात नहीं कही जा सकती क्योंकि जनता बची है तभी यह वीडियो आया है. कोई बचा होगा जो इस वीडियो को लीक कर दिया वरना यह सच्चाई सामने नहीं आती.