अयोध्या मामले की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के ही निर्देश पर मध्यस्थता की भी कोशिश हुई थी. एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक मध्यस्थता में सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड मंदिर के लिए विवादित ज़मीन पर अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार था. उसका ये भी कहना था कि वो इसके बदले में मस्जिद बनाने के लिए कोई ज़मीन नहीं लेगा. लेकिन वक्त की कमी से एक और पक्षकार को मनाया नहीं जा सका. अब मुस्लिम उलेमा का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि मुक़दमे की सुनवाई के साथ-साथ मध्यस्थता फिर शुरू की जाए, ताकि मसले का हल कोर्ट के बाहर ही निकल आए.