बारिश हर साल का बहाना है, टूटी सड़कों को टूटे रहने का एक तरह से सेवा विस्तार है बारिश. मगर लोग जानते हैं कि बारिश में ऐसी बहुत सी सड़के हैं जो नहीं टूटी हैं. मीडिया ने लोगों को छोड़ दिया है या उनके संघर्ष या खबरों को किसी कोने में छाप कर, स्पीड में हदबद हदबद चलाकर किनारा कर लेता है. स्पीड न्यूज़ को कभी देखिएगा. खबरें इस तरह से गुज़र जाती हैं जैसे एक्सप्रेस ट्रेन के बगल से सुपर फास्ट ट्रेन. ख़बरों की हाज़िरी तो लग जाती है मगर स्पीड न्यूज़ की रफ्तार उन ख़बरों की हत्या कर देती है. लोग समझ रहे हैं कि ख़बरों का मतलब क्या होता है.