सरकार पूरी अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाना चाहती है, जबकि इस देश की 40 फ़ीसदी आबादी का बैंकों से वास्ता ही नहीं बन पाया है. दिल्ली से बस 50 किलोमीटर दूर जाकर ये समझ में आ जाता है कि नोटबंदी के बाद के हालात लोगों पर कैसे भारी पड़ रहे हैं. हमारे सहयोगी शारिक ख़ान की ग्राउंड रिपोर्ट.