नजीब की मां बदायूं से आईं हैं. एक बेटे मुजीब को लिए वे 24 दिनों से दिल्ली की खाक छान रही हैं. यकीन ही नहीं हुआ कि वाइस चांसलर ने इन्हें खुद से बुलाकर तसल्ली देने का प्रयास नहीं किया है. नजीब की बहन सदफ़ ने बताया कि शुरू में तीन बार वे लोग ही वाइस चांसलर के पास गए. वाइस चांसलर ने उन्हें कभी नहीं बुलाया. एक बार प्रेस कांफ्रेंस के दौरान फोन आया था. इसके अलावा वीसी ने कभी भी परिवार को बुलाकर तसल्ली नहीं दी.