रोज़गार के सवाल को पकौड़ा तलने का रूपक मिल जाए और रूपक गढ़ने वाले आर्कमिडिज़ का फार्मूला समझ कर उस पर कायम रहे तो रोज़गार को लेकर मारे मारे फिर रहे नौजवानों की चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. वो अपने रोज़गार और उसे देने की सरकारी व्यवस्था को लेकर सवाल पूछ रहे हैं मगर पूछने से पहले उन्हें पकौड़े का फार्मूला थमा दिया जा रहा है. पकौड़ा रोज़गार के कठिन सवाल को आसान और क्रूर मज़ाक के रूप में सबके हाथ लग गया है. सोशल मीडिया में सब पकौड़े तल रहे हैं.