समाज का एक बड़ा वर्ग उस मानसिकता का है जो ये मानने को ही तैयार नहीं है कि स्वतंत्रता, समता और आपसी भाईचारा वो बुनियादी गुण है जिनके बिना आप एक न्यायप्रिय समाज की कल्पना कर ही नहीं सकते हैं. हमारे संविधान की प्रस्तावना में ही सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की बात कही गई है.