आतंकी ख़तरे के मद्देनज़र पवित्र अमरनाथ यात्रा पिछले कई सालों से संगीनों के साये में ही पूरी होती रही है. लेकिन आज जिस तरह से एडवायज़री जारी करते हुए सैलानियों और अमरनाथ यात्रियों को घाटी खाली करने को कहा गया है, वो अभूतपूर्व है. कहने का मतलब है कि ख़तरा पहले की यात्राओं में भी था लेकिन कभी भी, किसी भी सरकार के दौर में सैलानियों और श्रद्धालुओं को यात्रा बीच में छोड़, घाटी खाली करने को नहीं कहा गया. ऐसे में तीन अहम सवाल हैं. 1. क्या घाटी में आतंकी बड़ी वारदात की फ़िराक में हैं? 2. हथियारों की बरामदगी की बिनाह पर क्या माना जा सकता है कि नापाक मंसूबों के साथ आतंकी घाटी में घुस चुके हैं? 3. क्या आतंकियों के ज़रिए पाक एक बार फिर घाटी में अशांति की कोशिश कर रहा है?