ट्विटर पर ट्रेंड के बारे में आपने सुना होगा. किसी मसले को लेकर जब कुछ समय के भीतर ट्वीट की संख्या बढ़ने लगती है तो वह ट्रेंड करने लगता है. कई बार मार्केंटिंग कंपनियां पैसे लेकर भी ट्रेंड कराती हैं, राजनीतिक दलों का आईटी सेल भी संगठित रूप से ट्रेंड कराता है. कई बार लोग अपनी तरफ से किसी मसले को लेकर ट्वीट करने लगते है और वह ट्रेंड में बदल जाता है. कई बार किसी खास समूह के लोग अपनी मांग को लेकर ट्वीट करने लगते हैं और ट्रेंड बन जाता है. ऐसा समां बांधा जाता है कि इस वक्त देश में यही बड़ी घटना है. पर क्या जब आम लोग अपनी समस्या को लेकर ट्वीट करते हैं, ट्रेंड कराते हैं तो मीडिया और सरकार उन्हें तवज्जो देती है? ट्रेंड कराने वाले नौजवान प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री विशेष को टैग करते हैं, सारे मीडिया संस्थानों के ट्विटर हैंडल को टैग करते हैं ताकि सभी अपनी टाइम लाइन पर देख सकें कि जनता किस मुद्दे को लेकर त्राहिमाम संदेश भेज रही है. हमारा सवाल यही है कि ट्विटर पर ट्रेंड कराने से कुछ होता है या प्रदर्शन की एक और औपचारिकता पूरी होती है और अगले दिन कुछ और ट्रेंड कर रहा होता है. इस लिहाज़ से देखें तो एसएससी सीजीएल 2017 के छात्र कई दिनों से ट्रेंड करा रहे हैं तो क्या उन्हें मीडिया में प्रमुखता से जगह मिली है, सरकार की तरफ से कोई बयान आया है. मंगलवार को सीजीएल की परीक्षा के साथ यूपी की 69000 शिक्षकों की बहाली की मामला भी ट्रेंड करता रहा.