पुलिस व्यवस्था में जवान सबसे निचले पायदान पर हैं. यह धारणा की बात है. दरअसल इसे उलट कर देखिए तो पुलिस की व्यवस्था जवान से शुरू होती है. यह बात अगर हम समझ लेते तो केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को अपना ट्वीट डिलीट नहीं करना पड़ता. कम से कम एक मंत्री सिपाहीकरण के पक्ष में खड़े हो सकते थे. क्योंकि एक सिपाही एक वकील के सामने कमजोर है. वकील के पास आवाज है. प्रतिष्ठा है. पैसा है. प्रतिभा के प्रदर्शन का खुला अवसर है. सिपाही के पास सौ तरह की बंदिश हैं. नौकरी की शर्तें उसे बोलने नहीं देती. इसलिए जरूरी था कि किरण रिजिजू अपने ट्वीट को डिलीट नहीं करते और कांस्टेबल करन के साथ खड़े होते.