बापू की जिंदगी के वो आखिरी दिन...

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  • प्रकाशित: जनवरी 30, 2013
महात्मा गांधी अपनी हत्या से एक दिन पहले यानी 29 जनवरी को देर रात तक एक नए सपने को कागज पर संजो रहे थे, जो एक तरह से उनकी वसीयत थी। वह आने वाले वक्त के लिए कांग्रेस और देश को कुछ समझाना चाहते थे। 30 जनवरी की सुबह भी गांधी ने अपनी साथी मनु से कहा कि कोई साथ आए न आए, मुझे अपने पथ पर आगे जाना ही होगा।

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