कहते हैं कि राजनीति में न कोई स्थायी दुश्मन होता है और न ही कोई स्थायी दोस्त. कल ऐसा ही वाकया हुआ जिसमें तीन बड़े नेता एक दूसरे के सामने से गुजरे तो तमीज और तहजीब के साथ एक दूसरे का एहतराम किया. इस दुआ सलाम के क्या हैं सियासी मायने बता रहे हैं सौरभ शुक्ला.