किसने सोचा था कि कोलतार की सड़क पर काग़ज़ की किश्ती बनाकर रखी जाएगी. हर किश्ती पर शेर ओ शायरी लिखी होगी. हर एक नाव पर फैज़ की नज़्म हम देखेंगे लिखी है. करीब 200 नावें मिलकर बड़े दिल का आकार ले चुकी हैं. इसके सामने एक छोटा सा टैंक रखा है. मतलब है कि टैंक को भी मोहब्बत से हरा देंगे. 12 जनवरी की सुबह से नावें बनाने का सिलसिला शुरू हुआ और शाम तक कागज़ की किश्ती बनती रही. छात्रों से साथ स्थानीय लोगों ने भी बनाया. आर्टिस्ट ऑफ राइज़ फॉर इंडिया की यह कल्पना है. क़ौसर जहां इसकी प्रमुख हैं. हम बता दें कि इन नावों पर सिर्फ फैज़ हैं मगर जामिया से लेकर शाहीन बाग़ में कई शायरों को गाया जा रहा है. इक़बाल, हबीब जालिब, कैफ़ी आज़मी, जॉन एलिया, हसरत मोहानी, जोश मलीहाबादी, जिगर मुरादाबादी, अली सरदार जाफ़री, मजाज़ लखनवी. राहत इंदोरी, दुष्यंत गोरख पांडे, बल्ली सिंह चीमा, धूमिल, शैलेंद, साहिर लुधियानवी, मुक्तिबोध, पाश, जैसे कई शायरों के शेर नारों में बदल गए हैं. कविताएं परचम बन गई हैं.