यूपी पुलिस भले ही बड़े अपराधों को सुलझाने में पीछे रह जाए. भले ही बड़े नेता और मंत्रियों के पैर छुए, उनकी गुमशुदा भैंसों को तलाशती रहे या फिर बड़े अपराधियों के आगे नतमस्तक दिखे. लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस आम लोगों पर अपना धौंस और यूं कहें कि वर्दी का ख़ौफ़ पैदा करने में अव्वल दिखाई देती है. आख़िर यूपी पुलिस किस क़ानून का पालन कर रही है. क्या यूपी में यही है पुलिस का क़ानून कि मज़लूमों पर सितम ढाए और रसूख़दारों के आगे भीगी बिल्ली बन जाए.