कई बार जब हमें कुछ सूझता नहीं तो इतिहास हमारी मदद को आगे आ जाता है. दिल्ली में कुछ ऐसा ही हो रहा है. सत्तर के दशक में उत्तराखंड से शुरू हुए चिपको आंदोलन की झलक यहां दिख रही है. दरअसल, दक्षिण दिल्ली के एक बड़े इलाके में पुरानी सरकारी कॉलोनियों के इलाके को नए सिरे से विकसित करने की कोशिश हज़ारों पेड़ों की जान पर बन आई है. इस इलाके के विकास का ज़िम्मा संभालने वाली संस्था NBCC यहां क़रीब चौदह हज़ार पेड़ काटने जा रही थी लेकिन दिल्ली के लोग इन पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपक गए. कई संस्थाएं इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं.