जनसत्ता के संपादक ओम थानवी का कहना है कि अगर इस तरह रोक लगी तो लोग बोल भी नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि ये गंभीर समस्या सरकार ने पैदा कर दी है। उनका कहना है कि अगर मानसिकता नहीं जानेंगे तो फिर उसको बदलेंगे कैसे। ओम थानवी का कहना है कि अभी तक फ़िल्म किसी ने देखी नहीं है। उनका कहना है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ़ मुहावरा नहीं है।