प्रकाशित: मार्च 05, 2016 10:30 PM IST | अवधि: 15:15
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मुंबई से सटे मुंब्रा की इन गलियों में कई लोग इशरत को जानते थे, क्योंकि वो हर दिन पढ़ने जाती थी। कॉलेज में भी लोग उसे पहचानते थे, लेकिन जब इशरत का जनाजा उठा तो पूरा मुंबई उसे पहचानने लगा। इशरत के पिता उसके कथित एनकाउंटर के दो साल पहले ही गुजर चुके थे। पूरी जिम्मेदारी कंधों पर आई तो इशरत ट्यूशन पढ़ाने लगी। बाद में परफ्यूम की दुकान की सेल्स गर्ल बन गई। और यहीं से इशरत की कहानी बदल गई। कहानी का दूसरा किरदार यहीं पर उससे जुड़ता है।