क्या आप जानते है की बाल विवाह के तीन में से एक मामले भारत में मिलते हैं यानि की तीन में से एक ऐसी बच्ची जिसकी बचपन में शादी कर दी गयी हो वो भारतीय है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया जिसमें ये कहा गया है की वो शादियाँ जो बचपन में तय करती जाती है होती नहीं है लेकिन तय कर दी जाती है वो किसी भी लड़के या लड़की की चुनने की आज़ादी के अधिकार के खिलाफ है और वो उनसे उनका बचपन छीन लेती है. दो परिवार आपसी सहमति से बचपन में शादियां तय कर देते हैं ताकि वो बाल विवाह के अपराध की सजा से बच जाए तो सिर्फ ये सजा से बचने के लिए धोखाधड़ी है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अब कानून में इस कमी को पूरा करने के लिए ये फैसला सुनाया है जिसमें संसद से अपील की गई है कि बाल विवाह के खिलाफ कानून में. बचपन में तय की जाने वाली शादियों को भी शामिल किया जाए और इन्हें अवैध माना जाए और ऐसे बच्चों को माइनर घोषित किया जाए जिन्हें केयर और सुरक्षा की जरूरत है . तो इस शो में आज हम इस ऐतिहासिक फैसले को जानेंगे और समझेंगे की भारत में बाल विवाह के खिलाफ चल रही मुहिम के लिए इसके क्या मायने है.