नासा के साइंटिस्ट डॉक्टर अमिताभ घोष ने एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि किस तरह से नासा का यह मिशन बेहद कठिन था. उन्होंने कहा कि नासा का जो स्पेस शटल था उसका 2010 में रिटायरमेंट हो गया था. इसके बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि इतने कम समय में स्पेस शटल का निर्माण, जिसके लिए 2 कंपनियों को काम पर लगाया गया था. सुनीता विलियम्स से पहले सिर्फ टेस्टिंग के लिए व्हीकल को भेजा गया था. इस तरह से सुनीता विलियम्स का मिशन पहला मिशन था इस नए स्पेस शटल से. ऐसे में स्टारलाइनर के लिए भी यह एक टेस्टिंग थी. अमिताभ घोष ने कहा कि ये अच्छा रहा कि वो सफलता पूर्वक वहां पहुंच गई लेकिन दुर्भाग्य से वापसी के लिए समस्याएं उत्पन्न हो गई. इस कारण यह मिशन बेहद कठिन हो गया.