Supreme Court on Stray Dogs: कुत्तों को इंसानी बस्तियों से बाहर करने का आदेश देश की सर्वोच्च अदालत ने दिया था। देश कई हिस्सों में बंट गया। कुछ लोग कुत्ताप्रेमी बने। कुछ कुत्ताद्रोही कुछ ऐसे जो न्यूट्रल हैं।धरना प्रदर्शन जारी था इसीबीच सुप्रीमकोर्ट ने इस केस को तीन जज की नयी बेंच के पास भेज दिया। पहले जिस दो जजों की बेंच ने कुत्तों को बस्ती से बाहर करने का आदेश दिया था वो अब इस केस से दूर हो गयी। नयी बेंच को पुरानी बेंच के आदेश पर विचार करना था कि कुत्तों को बस्ती में रखा जाए या फिर डॉग शेल्टर में भेज दिया जाए। यहां एक बात गौर करने वाली है कि हमारे शहरों में आवारा तो गौवंश भी है।जो सड़कों में दुर्घटना और जाम का बड़ा कारण हैं। और कष्ट में भी हैं।मतलब दिक्कत में हैं भी और दिक्कत दे भी रहे हैं। लेकिन उनपर कोई खास तवज्जो नहीं है।दोनो के प्रति समाज की सोच और व्यव्हार में गजब का अंतर है। मैं दोनो पक्षों के बीच में खड़ा हूं। मेरी भूमिका साफ है।मैं न पक्ष हूं।न विपक्ष हूं। मैं तो सिर्फ समाज के विभाजन की ओर इशारा कर रहा हूं। फैसला और स्टैंड तो सुप्रीमकोर्ट को लेना है।जिसने कुत्तों के मैटर की संवेदनशीलत को देखते हुए बेंच बदल दी है और आज सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला रिजर्व कर लिया है। पता चलेगा तो वो भी बताएंगे लेकिन उससे पहले जो समझ मे आ रहा है उसे आप समझ लीजिए