नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है. वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी कहते हैं कि यह संसद में पास नहीं हो सकता है और न ही कोर्ट इसे मानेगी. उनका कहना है कि आरक्षण 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हो नही सकता है. या तो जाति आधारित ख़त्म कर दें और आर्थिक आधार पर अपना लें. दोनों साथ नहीं हो सकता.