मशहूर पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह केस रद्द करने के बाद ये बहस फिर हो रही है कि क्या लोकतांत्रिक देश में अंग्रेजों के जमाने के दमनकारी कानून राजद्रोह की क्या अब भी जरूरत है? कहीं आलोचना करने वालों सवाल उठाने वालों को रोकने के लिए इस तरह के कानून का इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है और इतना ज्यादा तो नहीं...