आज के फैसले में जीत भले ही ना मिली हो, लेकिन समलैंगिक समुदाय मानता है कि समलैंगिक जोड़ों के लिए भारत बेहतर जगह बन गई है. सामाजिक सोच बदली है, पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता संसद ही दिला सकती है, न्यायपालिका नहीं. ऐसे में अब आगे की लड़ाई सियासी मोड़ भी लेगी. LGBTQ समुदाय कह रहा है कि 17% इनकी जनसंख्या अब उन्हीं को वोट करेगी, जो नेता इनके हक की लड़ाई लड़े.