पूरा मामला जैसे मटकी तक सिमट कर रह गया है. अलग मटकी थी या नहीं जालोर के बच्चे ने मटकी से पानी पिया था या नहीं? जैसे सब कुछ इसी सवाल पर टिका है. जबकि सच यह है कि 9 साल के बच्चे की मौत हुई है. वो एक गरीब घर का बच्चा है. दलित परिवार का बच्चा है वो उस समाज से आता है जिसे सदियों से छुआछूत का अभिशाप झेलना पड़ा है. सवाल यह है कि छुआछूत के पाप का घड़ा कब भरेगा?