यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध प्रदर्शन को दबाने के नाम पर तरह तरह के नियम बनाए जा रहे हैं ये सारे नियम सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले के खिलाफ खड़े नज़र आते हैं, जिसने 2018 में कहा था कि प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है. ज़रा-ज़रा सी बात पर छात्र को हॉस्टल से बाहर किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि हॉस्टल मे भाषण देने से पहले डीन से अनुमति लेनी होगी. जिन पर लोकतांत्रिक होने की ज़िम्मेदारी है वो लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचलने के नियम बना रहे हैं.