राजनीति और पत्रकारिता में भाषा की नैतिकता के सारे नियम ध्वस्त हो चुके हैं. किसने शुरुआत की या किसने कम या ज्यादा कहा, ये बहस बेमानी है. ऐसा नहीं है कि नियम और नैतिकता का इस्तेमाल बंद हो चुका है, होता है...तब होता है जब किसी विरोधी को नोटिस भेजना होता है.