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रवीश कुमार का प्राइम टाइम: पुलवामा के समय जैसी परंपरा जारी रह सकती थी

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14 फरवरी 2019 को जब पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ था तब हमारी प्रतिक्रिया कुछ अलग थी. सुपर हरक्युलिस विमान जब दिल्ली में उतरा तब लाइव कैमरा से देख रहा देश भावुक हो उठा था. आतंकवादी हमला बहुत बड़ा था. CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. उस दिन सबकुछ बिजली की गति से हो रहा था. CRPF ने 15 फरवरी को ही अपने ट्विटर हैंडल से शहीद जवानों के नाम और तस्वीरें जारी कर दी थीं. एयरपोर्ट पर पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ रखा गया. गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी आए. CRPF गृहमंत्रालय के अंदर ही आता है, उन्हें होना ही था. रक्षा मंत्री भी आयी थीं. राहुल गांधी भी थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी थे. प्रधानमंत्री भी आते हैं लाइव केमरा करोड़ों दर्शकों के घरों में ठहर जाता है. देश देख रहा था. श्रद्दांजलि देने की यह परंपरा नई जैसी थी और सीमा पर संदेश भेज रही थी बहुत सह लिया अब न सहेंगे, सीने धड़क उठे हैं. एक सुपर पावर सा भारत सबको भा रहा था. जवाब भी सर्जिकल स्ट्राइक से दिया गया. लेकिन क्या इस बार शहीदों को दिल्ली में श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती थी?



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