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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : ये दिल्ली का बॉर्डर है या दूसरे देशों के साथ भारत की सरहद?

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ऐसी तो कोई फिल्म नहीं आई है जिसका नाम 'किसान और कील हो'. लेकिन जिस तरह से दिल्ली की सीमाओं पर कीलों को किसानों के सामने बिछाया जा रहा है, उस तरह से ऐसी फिल्मों की कल्पना बहुत दूर नहीं है. आज हम आपके सामने दो तरह की तस्वीरों को लेकर बात करना चाहते हैं. एक तस्वीर है यूपी, हरियाणा और राजस्थान से आ रही महापंचायतों की, जैसे बुलंदशहर में आसपास के 12 गांवों से करीब 6 हजार किसान इस महापंचायत में शामिल हुए. 300 महिलाएं भी इस महापंचायत में आईं हैं. इसी तरह दिल्ली से 180 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार, नांदेरी टोल में बड़ी संख्या में किसान गुरनाम सिंह चढ़ूनी को सुनने पहुंचे. इन महापंचायतों में शामिल हो रहे किसानों की संख्या बता रही है कि उनके बीच आंदोलन अभी जिंदा है.



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