पता नहीं कि ये बहुत दुख की बात है या फिर कोई बात ही नहीं है. कई घंटे हो गए लेकिन अभी तक भारत के लोकतंत्र को लेकर किसी फिल्मकार, गीतकार और खिलाड़ी ने ट्वीट क्यों नहीं किया? उनसे ये उम्मीद फिल्मकार अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू के यहां पड़े आयकर छापे के मामले में तो बिल्कुल नहीं थी. लेकिन ग्लोबल जगत में ये खबर छप जाए कि भारत के लोकतंत्र में भारी गिरावट आई है, और अब भारत को एक आजाद लोकतंत्र की जगह आंशिक रूप से आजाद लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है. तब तो उन्हें ट्वीट करना ही चाहिए था, जिस तरह से उन्होंने रिहाना के मामले में ट्वीट किया था. आपको तो याद ही होगा कि रिहाना नाम की गायिका ने किसान आंदोलन को लेकर छपी खबर ट्वीट कर दी, और सिर्फ इतना लिख दिया कि, “क्या हम इस पर बात कर सकते हैं?”, तो इस पर हंगामा मच गया. फिल्मकार, खिलाड़ी सरकार के बचाव में आ गए. सरकार अक्रामक हो गई. लेकिन अब जब भारत के लोकतंत्र की रेटिंग गिर गई है, तब इनके बीच खामोशी को कैसे समझा जाए?