Ravish Kumar's prime time: किसान आंदोलन ( Farmers Protest) ने इतना तो कर दिया है कि सब जगह खेती पर बात हो रही है. इस विमर्श के कई मंच खुल गए हैं. एक मंच है संसद, दूसरा राजनीतिक रैलियां, तीसरा किसानों की महापंचायत ( Kisan Mahapanchayat) और चौथा अखबारों के संपादकीय पन्ने. इस आंदोलन के कारण बीजेपी और कांग्रेस की आर्थिक नीतियां भी बेनकाब होती रही हैं. क्योंकि दोनों दलों की नीतियां एक ही किताब से आती हैं. विकास भी अजीब है जो भूतकाल में नहीं आया हुआ होता है और भविष्य में आने वाला होता है. उसे लाने वाला भी कोई होता है. बहरहाल, देश में 40-50 करोड़ किसान हैं, जिनकी हालत किसी से छिपी नहीं है, लेकिन इस आंदोलन ने अवसर दिया है कि खेती-किसान की गंभीर हालत पर सार्थक विचार-विमर्श हो रहा है.