आज (19 फरवरी) ग्यारवां दिन है जब पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं. इनकी कीमतों के बढ़ने से परेशान आत्माओं से एक प्रश्न है. परेशान आप हैं तो प्रदर्शन दूसरा क्यों करे? वैसे दूसरों को भी करना चाहिए लेकिन ये सवाल इस संदर्भ में है कि कई लोग लिख रहे हैं कि विपक्ष कहां है? जैसे तेल के दाम विपक्ष के प्रदर्शन न करने के कारण बढ़ रहे हैं. जब भी तेल के दाम बढ़ते हैं, विपक्ष की खोज बढ़ जाती है. ऐसा क्यों होता है? क्या वाकई विपक्ष ने कुछ नहीं कहा और कुछ नहीं किया? या जनता के बीच ही ये मुद्दा नहीं है? या फिर मीडिया जनता के बीच जाना ही नहीं चाहता है? कई लोग तो इस अधिकार से पूछते हैं, जैसे पेट्रोल की कीमतों का विरोध करने के लिए घर से निकल पड़े थे. रास्ते में लोगों की भीड़ जमा थी. मगर कोई विपक्ष का नहीं मिला तो घर लौट आए. अच्छी बात है कि पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से विपक्ष की खोज होने लगती है?