प्रधानमंत्री ने कहा है कि नाईट कर्फ्यू का नाम बदलकर कोरोना कर्फ्यू कर दिया जाए, ताकि लोगों को याद रहे कि कोरोना काल में जी रहे हैं, और लोग जागरूक हों. काफी गंभीर सुझाव है. खुशी कि बात ये है कि प्रधानमंत्री ने उन सबको इंटेलेक्चुअल कहा है, जो रात में कर्फ्यू लगाने के फैसले पर सवाल करते हैं. दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाली डीएनडी से आने-जाने वाले लोग अगर कोरोना को लेकर जागरूक नहीं हैं तो नाईट कर्फ्यू से ही जागरूक हो जाएंगे. इसकी क्या गांरटी है, अगर यही कारगर प्रयास है तो पूरे भारत में सवा लाख केस आने के बाद ही क्यों फैसला किया गया. पहले भी हो सकता था. इन खाली सड़कों पर जो सन्नाटा पसरा हुआ है, वो जागरूकता की कहानी नहीं कहती है. उस आर्थिक तबाही की आहट है, जो सालभर पहले तालाबंदी के फैसले से आई थी.