सेना में 30 साल काम करने वाले रामकिशन जी ने सबको जमा किया कि हम सबकी लड़ाई लड़ेंगे. उनके साथ रेगुलर आर्मी के पूर्व सैनिक भी 1 नवंबर को दिल्ली आए, लेकिन वे सभी जंतर मंतर की तरफ चले थे कि रामकिशन जी ने आत्महत्या कर ली. चूंकि वे सीनियर थे इसलिए वे इस लड़ाई का नेतृत्व कर रहे थे.